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Showing posts from May, 2023

रेहन पर रग्घू : काशीनाथ सिंह

यह लेख मेरे लिए और इस ब्लॉग के लिए विशेष है क्योंकि यह साठवाँ अंक है। दशक पूर्व शुरू की गई इस यात्रा में कई  बार रुकावटें आई लेकिन कई प्रशंसकों ने पुनः इसे जीवित करने का निवेदन  किया तो उनके प्रोत्साहन से यात्रा अभी तक निरंतर चल रही है।  आज हम चर्चा करेंगे काशीनाथ सिंह रचित प्रसिद्ध  "रेहन पर रग्घू" जिसका प्रकाशन "राजकमल प्रकाशन" ने सन 2008 में किया है। काशीनाथ सिंह जी आज किसी भी परिचय के मोहताज नहीं है। आधुनिक हिन्दी साहित्य में उनका विशेष स्थान है । काशी का अस्सी प्रायः आप सभी ने पढ़ी होगी। उनका लेखनी का एक अलग अंदाज है, जिसमे ग्रामीण परिवेश, उस परिवेश में उधेड़ बन में लगा आदमी, पारिवारिक स्थितियों मे दबा, सामाजिक तानों- बानों  में अपने आप को उलझाता - निकालता हुआ व्यक्ति। रेहन का मतलब होता है किसी भी चीज को गिरवी रख देना।  रेहन पर रग्घू पुस्तक के मुख्य पात्र रघुनाथ सिंह किरदार के इर्द गिर्द घूमती है। रघुनाथ और शीला  की तीन संताने  हैं, बेटे संजय, धनंजय और बेटी सरला। मिर्जापुर के एक छोटे से गाँव पहाड़पुर कि पृसठभूमि में एक छोटे से परिवार कि महत्वाकांछा की कहानी जिसमे

वह फिर नहीं आई : भगवती चरण वर्मा

 यह लघु उपन्यास भगवती चरण वर्मा द्वारा रचित है जिसका प्रकाशन राजकमल समूह ने किया है। प्रथम बार प्रकाशन 1960।  भगवती चरण वर्मा किसी भी परिचय के मोहताज नहीं हैं और आपके द्वारा रचित प्रसिद्ध   चित्रलेखा पर पहले भी मैंने एक लेख लिखा हुआ है।  इस लघु उपन्यास में पुनः लेखक ने नारी और उसके अंतर्मन को समझने और समझाने का प्रयास किया है। उपन्यास में सिर्फ तीन पात्र  हैं श्यामला , ज्ञानचंद और जीवन दास ।  ज्ञानचंद जो कि  एक धनाढ्य व्यापारी है, को श्यामला से प्रेम हो जाता है। कहानी के मध्य में जब ज्ञानचंद के खातों में जीवनराम गबन कर देता है तो उसे जानकारी होती है की श्यामला जीवन राम की पत्नी है। यह बहुत ही आश्चर्यजनक प्रतीत होता है की ज्ञानचंद श्यामला का शारीरिक उपभोग करता रहा और ये जान कर भी जीवनदास ने कभी प्रतिकार नहीं किया।  एक सम्पन्न व्यक्ति कैसे सरकारी तंत्र, न्यायतंत्र और अपने रसूख का उपयोग करके तंत्र का उपयोग अपने हिट में कर सकता है ये देखने को मिलता है।  जीवनराम को जेल भेजने के उपरांत और जीवनराम का यह कथन की यदि उसने उनके पैसों का गबन किया है तो ज्ञानचंद ने भी जीवनराम की पत्नी का अमर्यादित

The Emperor of Scent : Luca Turin's story as told by Chandler Burr

The Emperor of Scent : A true story of Perfume and Obsession  A terrific piece of literature depicting struggle of a brilliant min, fighting alone amidst intellectul tyranny, a revelation of academic process to understand the most basic of human instinct "Smell". The Emperor of Scent : A true story of Perfume and Obsession written by Chandler Burr, published by The Random House in 2002, is the story of Luca Turin, a scientist working in the area of smell and odour. The book is divided into 2 parts namely creation and wa r; each having 4 chapters. The chapter Mystery starts with exploring the mystery behind Smell and its scientific and financial aspects as Nobel prize for smell and its scientific explanation is still under research without any cogent explanation unlike hearing where a scientific surety has been established on the process governing hearing and sound. Second is the industry of smell which is not limited to perfumes and cosmetics but contributes majorly in food,