Sunday, 30 August 2020

Allahabad Blues : A lover's tryst with Prayag

           तो आज अपने इस ब्लॉग में हम लोग नई किताब "इलाहाबाद ब्लूज" की चर्चा करेंगे, जोकि अंजनी कुमार पांडे जी ने लिखा है । इसका प्रकाशन हिंदी युग्म, नोएडा ने संस्मरण के रूप में किया है। जैसा की किताब के नाम से ही इंगित होता है कि इस किताब का इलाहाबाद शहर से संबंध है  जिसे अब प्रयागराज नाम से भी जाना जाता है। ‌
           लेखक की यह पहली किताब है जो कि प्रकाशन में आई है और इसका अगर हम अगर हम भूमिका देखेंगे तो हमें समझ में आएगा कि ही लेखक के संघर्ष की दास्तान है जो कि उसने एक छोटे शहर में, छात्र जीवन से शुरू होते हुए भारतीय राजस्व सेवा में चयन तक की कहानी है । यह कहानी सिर्फ लेखक के जीवन चरित्र या जीवन यात्रा की ही नहीं है बल्कि एक कहानी है हजारों हजार युवाओं की , कई रीति-रिवाजों की, उन कई गांवों की जिनके मोहल्ले समय के साथ उजड  गए, उन कई किस्से और कहानियों की जो किसी भी एक मध्यम वर्गीय परिवार द्वारा अपनी महसूस की का सकती है। 
            मूलतः किताब को लेखक ने तीन भागों में बांटा है स्मृतियां, मध्यांतर और वर्तमान । अपने जीवन संघर्ष से शुरू हुई किताब को लेखक ने मानस की इस चौपाई से समेटा है 
"जेहि के जेहि पर सत्य सनेहू।
सो तेहि मिलय न कुछ संदेहूं।। 
अर्थात यदि आप किसी वस्तु को पूरे दिल से चाहते हैं तो वह आपको एक दिन अवश्य प्राप्त होती है बस आप में आकांक्षा प्रबल, शाश्वत और निर्दोष होनी चाहिए । इलाहाबाद का जीवंत विवरण पूरी पुस्तक में दर्शित है। 
 
         लेखक के शब्दों में " प्रयागराज नाम में वह बात नहीं जो इलाहाबाद में है क्योंकि अगर प्रयागराज एक धर्म है तो इलाहाबाद एक दर्शन है और यह दर्शन अपने भीतर तमाम धर्मों को समाहित किए हुए हैं प्रयागराज गंगा जमुनी तहजीब से डिस्कनेक्टेड है और इसीलिए शायद मुझसे भी।"

         लेखक का यह पहला प्रयास है और यदि हम देखेंगे तो कहीं कहीं पर अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग हुआ है जो कि आज कल की पीढ़ी के लेखकों में बहुत आम होती जा रही है और ऐसा इसलिए भी है कि हमारी शिक्षा पद्धति, जन सामान्य बोलचाल में भी ऐसे शब्दों का प्रयोग आम हो गया है । शुद्ध हिंदी के शब्द कम हो रहे हैं और इसीलिए शायद यूपीएससी में हिंदी के अभ्यर्थियों कि संख्या भी गिर रही है।
         पुस्तक की भाषा बहुत ही सरल और आम है जिससे सामान्य व्यक्ति के समझने में कोई दिक्कत नहीं होगी। पाठ बहुत ही लघु हैं जिनको साथ जोड़ कर मध्यम किया जा सकता है। थोड़ा एडिटिंग से पुस्तक और चुस्त बन सकती थी।
         किताब इलाहाबाद में रहने वाले, इलाहाबाद से जुड़े हुए, वहां तैयारी करने वाले लोगों के लिए एक मास्टर संस्मरण टाइप है। विशेषत उनके लिए जिन्होंने अपने जीवन का काफी समय इलाहाबाद में गुजारा है और अब कार्य या शिक्षा या व्यापार  की वजह से अब वहां से नहीं जुड़े हैं तो यह किताब पढ़ते जरूर वह अपनी यादों से जुड़ सकते हैं। एक और प्रमुख बात जो इस पुस्तक में है वह है सतत् आशा की किरण और सकारात्मक सोच।

          मेरी अनुशंसा है कि पुस्तक को एक बार जरूर पढ़ें और इसे बिना किसी शैली और तुलनात्मक अध्ययन में बांधते हुए आनंद लें।

1 comment:

  1. सटीक विश्लेषण .. किताब को बिना पढ़े ही उसमे निहित संदेश को आसानी से उल्लेखित किया ।। आधुनिक हिंदी साहित्य के राम चन्द्र शुक्ल जी के राह पर अग्रसर है आपकी कलम

    ReplyDelete

India : A Sacred Geography

India : A Sacred Geography Do you remember review of Benaras: The City of Light written by Diana L. Eck? As I read more and more about her b...